Raag

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raag kedar parichay

raag kedar parichay

raag kedar parichay:- परिचय – राग केदार का जन्म कल्याण ठाट से माना जाता है । इसमें दोनों मध्यम तथा अन्य स्वर शुद्ध लगते है , राग केदार के स्वरों  के वादी में  “म”  और संवादी में  ” सा ” का प्रयोग किया जाता है , राग केदार के आरोह में  ( रे , ग […]

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Raag bhairav

raag bhairav

राग भैरव (raag bhairav) : raag bhairav parichay राग भैरव की रचना भैरव थाट से मानी जाती है , राग भैरव में  (रे और  ध) कोमल स्वर लगते है । राग भैरव की जाती सम्पूर्ण – सम्पूर्ण है अर्थात इसके आरोह और अवरोह में सातो स्वर का प्रयोग किया जाता है । राग भैरव के

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raag bhimpalasi

Raag Bhimpalasi raag bhimpalasi parichay: राग भीमपलासी का जन्म काफी थाट से माना जाता है , इस राग में  ग , नि कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है , इस राग  के आरोह में  रे और ध वर्जित है और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते है । अतः इसकी जाती

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raag vrindavani sarang

raag vrindavani sarang

raag vrindavani sarang राग वृन्दावनी सारंग का जन्म काफी थाट से माना जाता है । इसमें गंधार और धैवत स्वर को वर्जित माना गया है , इस कारण इसकी जाती औडव – औडव मानी जाती है राग वृन्दावनी सारंग के वादी स्वर में रिषभ तथा सम्वादी स्वर पंचम को माना जाता है और इसका गायन

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